DARBHANG (MR)। जेठ का तपता मौसम। इस तपते मौसम की उमस भरी गरमी से कौन नहीं वाकिफ होगा। दोपहर क्या, सुबह में लोगों के तन से पसीना बहता है। पिछले पखवारे में बिहार में कुछ ऐसा ही मौसम था। टेंपरेंचर 43 डिग्री सेल्सियस के आसपास। बीच-बीच में मौसम का मिजाज बदल भी रहा है। कभी आंधी और कभी वज्रपात। लेकिन मंगलवार को जो नजारा दिखा, उसे सहसा विश्वास ही नहीं हो रहा था। बिहार के दरभंगा में सुबह-सुबह आकाश में कोहरा लगा था।

दरअसल, जून की गर्मी से कौन नहीं डरता। ठंड के दिनों में चर्चा जून के पसीने की होती है। लेकिन यह बिहार है। यहां सारे पूर्वानुमान फेल हो जाते हैं। कोराना काल में वायरस से बचने की जद्दोजहद कर रहे दरभंगा के लोगों को दो जून की सुबह रोटी की जगह कोहरे से दो-चार होना पड़ा।

मंगलवार की सुबह कोहरे की ऐसी छाया आई कि समझ ही नहीं आ रहा था कि हो क्या रहा है। हल्का उजाला देखकर जो लोग घर के बाहर आ गए थे, वो एक-दूसरे से समय पूछते नजर आए। कुछ लोग तो ये पुष्ट करने में जुट गए कि महीना जून का ही है न! काफी देर होती रही चर्चा के बीच कोहरा तो ओझल हो गया, पर जून में पहली बार दिखे ऐसे नजारे मन में कई सवाल छोड़ गये। मौसम वैज्ञानिक इसे स्थानीय कारण बता रहे हैं। लेकिन गांव क मानव मन को कौन समझाए!

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