पटना। बिहार में अब नगर निकायों की मनमानी नहीं चलेगी। सरकार ने कैबिनेट में प्रस्ताव पास कर नगर निकायों पर अंकुश लगा दिया है। यूं कहें कि नगर निकायों के पर कतर दिये गये। इससे अब नगर निकायों को जनहित से संबंधी सरकारी आदेशों को सीधे लागू करना होगा। इसमें किंतु-परंतु की अब कोई गुंजाइश नहीं है।

दरअसल, नगर निकाय स्वायत्तशासी इकाई है। इसकी वजह से वह मनमानी करती आ रही थी, लेकिन अब बिहार सरकार ने उस पर पूरी तरह अंकुश लगा दिया। सरकार ने नगर निकायों के अधिकारों पर कैबिनेट में प्रस्ताव पास कर उसके अधिकारों में कटौती कर दी। नए प्रस्ताव से अब नगर निगमों, नगर परिषदों और नगर पंचायतों को जनहित से जुड़े सरकार के आदेशों को सीधे लागू करना होगा।

जानकारी के अनुसार, नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रस्ताव पर कैबिनेट ने हरी झंडी दे दी है। बुधवार 5 मई को बिहार कैबिनेट की बैठक हुई थी, जिसमें नगर पालिका कानून-2007 में बदलाव कर दिया है। इसके पहले नगर निकायों को सरकार के आदेश की समीक्षा करने के बाद लागू करने की आजादी थी। इसके लिए

नगर निकाय बोर्ड से पास कराने का प्रावधान था। कई मौकों पर नगर निकाय इसका फायदा भी उठाता था। महत्वपूर्ण आदेश को इसकी आड़ में पेंडिंग रख देता था। ऐसे में कई महत्वपूर्ण सरकारी आदेश लागू नहीं हो पाता था। आपसी खींचतान में जनता को समस्या होती थी। ऐसे में नगर विकास एवं आवास विभाग ने जनहित को ध्यान में रखते हुए नगर पालिका नियमावली में बदलाव कर दिया। इस पर बिहार कैबिनेट की मुहर भी लग गई। राज्यपाल की मंजूरी के बाद इसे विधानमंडल में रखा जाएगा। वहां से पास होते ही संशोधित नगर पालिका कानून विधिवत अमल में आ जाएगा।

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