बिहार में आधा दर्जन मुखिया के खिलाफ FIR, मनाही के बाद भी जला डाला फसल अवशेष

पटना/कैमूर। बिहार में फसल अवशेष जलाने पर प्रतिबंध है। इसे लेकर सरकार लगातार किसानों को अवेयर कर रही है। चेतावनी दी जा रही है। इसके बाद भी किसान मानने को तैयार नहीं हैं। दुखद बात तो यह है कि जिस दिन बिहार के कृषि मंत्री प्रेम कुमार किसानों को फसल अवशेष नहीं जलाने की नसीहत दे रहे थे, उसी दिन कैमूर के कई प्रखंडों में फसल अवशेष जलाने का मामला सामने आया। ऐसे में फसल अवशेष जलाने वाले किसानों को चिह्नित कर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। इससे बाकी के किसानों में हड़कंप है। बिहार के कैमूर जिले का मामला है। शनिवार को फसल अवेशेष जलाने के आरोपी छह किसानों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है। इसके अलावा 32 किसानों को चिह्नित कर वेबसाइट पर उनका रजिस्ट्रेशन भी लॉक कर दिया गया है। विभागीय जानकारी के अनुसार आरोपी किसानों को आगामी तीन वर्षों तक कृषि विभाग की विभिन्न योजनाओं से वंचित कर दिया गया है।

जिला कृषि पदाधिकारी ललित प्रसाद की मानें तो किसानों को हमेशा जागरूक किया जा रहा है। इसके लिए शहर-गांव से लेकर पंचायत तक -प्रसार कर किया जा रहा है, इसके बावजूद कुछ किसान अपनी मर्जी करने पर तुले हुए हैं। इसी के तहत कुदरा प्रखंड में दो, मोहनियां प्रखंड में एक, नुआंव प्रखंड में दो व भभुआ में एक किसान के खिलाफ खेत में फसल अवशेष जलाने के कारण प्राथमिकी दर्ज की गयी है। इसके साथ ही विभिन्न प्रखंडों के 32 किसानों को चिह्नित किया गया है, जिनके विरुद्ध कार्रवाई करते हुए उनका रजिस्ट्रेशन लॉक कर दिया गया है।

बता दें कि शनिवार को ही कृषि मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने मीडिया से बात करते हुए अपील की थी कि किसान फसल अवशेष को बिल्कुल न जलाएं। अभी रबी फसल की कटाई अंतिम चरण में है। रबी फसल के अवशेष को न जलाएं, इससे मिट्टी की गुणवत्ता पर बुरा प्रभाव पड़ता है। उसकी सेहत पर असर पड़ता है। इससे खेतों में अच्छी उपज नहीं होती है। उन्‍होंने कहा कि खेतों में डंठल जलाने से मिट्टी का टेंपरेचर (तापमान) बढ़ जाता है। इसके नतीजे भी खतरनाक आते हैं। मिट्टी में उपलब्ध जैविक कार्बन नष्ट हो जाता है। इसके कारण मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है। उन्‍होंने कहा कि मिट्टी के टेंपरेचर बढ़ जाने से सूक्ष्म जीवाणुओं का हानि पहुंचती है। वह मर जाता है। इसी तरह, केंचुआ भी मर जाता है। केंचुओं व जीवाणुओं के रहने से ही मिट्टी उर्वरा होती है। फसल अवशेष जलाने से नाइट्रोजन की कमी हो जाती है। इसका भी सीधा असर उपज पर पड़ता है।

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