गली के सितारे 10: हिम्मत नहीं हारी, हौसला बना रहा; चौथे अटैम्प्ट में अविनाश ने UPSC 2020 में लहराया सफलता का परचम

PATNA (MR) : एक बार फेल, दूसरी बार भी फेल, तीसरी बार भी फेल… लगातार तीन बार फेल होने के बाद अच्छा-अच्छा इंसान का पेशेंस जवाब दे जाता है। लेकिन यह कहानी अविनाश की है। बिहार के औरंगाबाद के अविनाश की। उन्होंने हिम्मन नहीं हारी। हौसला का बरकरार रखा। चौथे अटैम्प्ट में बाजी मार ली। UPSC 2020 की परीक्षा में सफलता दर्ज की।

पहली बार 2016 में उन्होंने यूपीएससी के लिए प्रयास किया था, जिसमें वे सफल नहीं हो सके थे। इसके बाद वर्ष 2017 और 2019 में भी उन्हें असफलता हाथ लगी।

औरंगाबाद का छोटा-सा प्रखंड है गोह। इसी गोह के छोटे-से गांव कोशडीहरा के रहने वाले हैं अविनाश। यूपीएससी रिजल्ट में उन्हें 190वां रैंक आया है। अविनाश के भाई नीरज समेत घर के लोग खुशी से गदगद हैं। नीरज कहते हैं कि अविनाश ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने चौथी बार में यह सफलता हासिल की। पहली बार 2016 में उन्होंने यूपीएससी के लिए प्रयास किया था, जिसमें वे सफल नहीं हो सके थे। इसके बाद वर्ष 2017 और 2019 में भी उन्हें असफलता हाथ लगी। हालांकि, 2016 उसी वर्ष अविनाश ने आईएफएस की परीक्षा पास कर ली। फॉरेस्ट विभाग में भी उन्हें नौकरी मिल गई। फिलहाल वे यूपी के गोरखपुर में डीएफओ के पद पर पोस्टेड हैं।

अविनाश ने बताया कि सेल्फ स्टडी ने ही उन्हें सफलता दिलाई है। असफलता से युवाओं को हार नहीं माननी चाहिए। असफलता में ही सफलता छिपी हुई है।

अविनाश के भाई नीरज एनटीपीसी हजारीबाग में पोस्टेड हैं, जबकि पिता मोहन सिंह इसी वर्ष एनटीपीसी से कार्यपालक अभियंता के पद से रिटायर हुए हैं। अविनाश की पत्नी आकांक्षा बतौर एमबीबीएस डॉक्टर हैं। 2016 में ही शादी हुई है। मां माधुरी सिंह हाउस वाइफ हैं। अविनाश गया के नाजरथ एकेडमी से मैट्रिक पासआउट है। इंटर की परीक्षा जहानाबाद के बाल विद्या निकेतन से पास की है। इसके बाद उन्होंने आईआईटी रुड़की से एमटेक किया। अविनाश ने बताया कि सेल्फ स्टडी ने ही उन्हें सफलता दिलाई है। असफलता से युवाओं को हार नहीं माननी चाहिए। असफलता में ही सफलता छिपी हुई है।

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