दिल्‍ली/ महाराष्ट्र। कोरोना संकट से देश त्राहिमाम कर रहा है। इसे लेकर केंद्र के निदेश पर लॉकडाउन लगा हुआ है। अर्थ व्यवस्था की स्थिति डंवाडोल हो गयी है। ऊपर से आंधी-पानी व ओलावृष्टि ने किसानों की रही-सही कमर तोड़ दी है। इसमें दो राय नहीं कि किसानों को इस स्थिति से उबरने में अभी लंबा समय लगेगा। विशेषज्ञों की मानें तो किसानों को और अधिक प्रॉब्लम का सामना करना पड़ेगा। कृषि प्रोडक्ट्स की कंपनियों की भी हालत खराब है। यूं कहें कि लॉकडाउन की वजह से पूरे देश के कारोबार पर बुरा प्रभाव पड़ा है।

बताया जाता है कि आंधी-पानी और लॉकडाउन की वजह से इस साल आम के बिजनेस को भारी लॉस हो रहा है। अच्छी उपज होने के बाद भी व्यापारियों को सही रिटर्न नहीं मिल रहा है। आम मिट्टी के दाम बिक रहे हैं। लॉकडाउन की वजह से लोग घरों से बाहर निकल नहीं रहे हैं। बिहार, यूपी, झारखंड आदि राज्यों में तो ओलावृष्टि से किसानों को पहले ही काफी लॉस हुआ है। आम के मंजर काफी झर गये।

विशेषज्ञों की मानें तो महाराष्ट्र मेंं भी किसान काफी परेशान हैं। महाराष्ट्र के रत्नागिरी, लातूर, सिंधुदुर्ग, सांगली, वर्धा समेत अन्‍य जिलों के किसान कुछ ज्‍यादा ही मायूस हैं। अल्‍फांसो जैसे अच्छे आम की भी मांग घट गयी है। दरअसल, पूरे देश में सबसे ज्यादा कोरोना का प्रभाव महाराष्ट्र में ही है। महाराष्ट्र में एक हजार से अधिक मौत हो गई है। इस महामारी को लेकर आम अवाम समेत महाराष्ट्र सरकार इतनी चिंतित है कि ऋषि कुमार जैसे महान अभिनेता के दाह संस्कार में लोग बचते नजर आए।

कोरोना की स्थिति को देखते हुए उम्मीद करना भी बेमानी होगा कि लॉकडाउन जल्दी खुल सकेगा। ऐसे में आम को लेकर किसानों की चिंता लाजिमी है। इतना ही नहीं, मजदूर भी नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में आमों को न तोड़ा जा रहा है और न ही पैकिंग हो पा रही है। विशेषज्ञों की मानें तो यदि ऐसी ही स्थिति रही तो किसानों को आम की फसल में 70 से 80 परसेंट तक का लॉस होगा।

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